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Rumored Buzz on baglamukhi kavach

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ॐ ह्रीँ सम्हारिणी मम शत्रून् सम्हारय सम्हारय ॐ ह्रीँ स्वाहा । पठनाद्धारणादस्य पूजनादवांछितं लभेत्। इंद कवचमज्ञात्वा यो जपेद् बगलामुखीय।। इति ते कथितं देवि कवच परमाद्भुतम्‌॥ १७ ॥ जानुनी सर्वदुष्टानां पातु मे वर्णपञ्चकम्‌। मक्खन से इस कवच को अभिमंत्रित करके बंध्या स्त्री को खिलाने से, वह पुत्रवती हो जाती है। https://www.youtube.com/watch?v=5VeSyP9JRw0

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