नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा। आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥ वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देख नाग मुनि मोहे॥ हाथो में त्रिशूल लिए है गले में है सर्पो की माला सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥ अंत में काम, https://jaibhole.co.in/home/Shree-Shiv-Chalisa