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तन्हाई में खोया, अकेला हूँ मैं | Judai Aur Tanhai Ki Dastaan | Sad Ghazal | दर्द भरी ग़ज़ल

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दिल से देखा तो भरी महफिल में खुदको अकेला पाया। तन्हाई की रातों में, दर्द की गहराइयों में खो जाता हूँ, “मेरे अकेलेपन का क्या सबूत दूं, तन्हाई भी पास बैठ कर रोने लगी है।” वो महफ़िल में तन्हा-तन्हा चिल्ला रहे थे। “तन्हाई बेहतर है झूठे रिश्तों से, कोई साथ https://youtu.be/Lug0ffByUck

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