प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया। राम लखन सीता मन बसिया॥ तुम्हरे भजन राम को पावै। जनम जनम के दुख बिसरावै॥ राम मिलाय राज पद दीह्ना ॥१६॥ तुह्मरो मन्त्र बिभीषन माना । लील्यो ताहि मधुर फल जानू ॥१८॥ प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं । These suffering from psychological leathery or perhaps https://princedirectory.com/listings13269992/details-fiction-and-hanuman-chalisa