होय सिद्धि साखी गौरीसा ॥३९॥ तुलसीदास सदा हरि चेरा । तुम्हरे भजन राम को पावै। जनम जनम के दुख बिसरावै॥ आप इस पेज का अनुवाद नीचे लैंग्वेज ऑप्शन से कर सकते हैं। अष्ट सिद्धि नवनिधि के दाता। अस बर दीन जानकी माता॥ वायुपुत्र ! नमस्तुभ्यं पुष्पं सौवर्णकं प्रियम् तीनों लोक https://vashikaranspecialist91345.digiblogbox.com/60113717/the-definitive-guide-to-hanuman-chalisa